Dil Se
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सबसे ऊँचे मैया मेरी
पहाड़ों पर रहती है।
सारा जग भक्त है जिसका
मैया- मैया कहती है।
सबसे ऊँचे मैया मेरी…
भव्य विशाल सजा दरबार
मैया जहाँ रहती है।
भक्तो की है भीड़ लगी
मैया न्याय करती है।
दुखियों को है सुखमय करती
भय पीड़ा सब हरती है।
सबसे ऊँचे मैया मेरी…
जिसकी भी है खाली झोली
मन वांछित फल से भरती है।
हरती सारे दुःख को उसके
जीवन खुशियों से भरती है।
सबसे ऊँचे मैया मेरी…
जब भी बढ़े पाप धरती पर
अपना सृजन करती है।
पापियों का नाश कर के
भक्तों को भय मुक्त करती है।
सबसे ऊँचे मैया मेरी…
जब भी भीर पड़ी भक्तों पर
मैया लाज रखती है।
समूल मिटा के दानव दल को
भक्तों की रक्षा करती है।
सबसे ऊँचे मैया मेरी
पहाड़ों पर रहती है।।
–माताप्रसाद वर्मा
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