Dil Se
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जिन्दगी का जंग जीत ,
तू ही है धरा का मीत।
बदल दे पुरानी रीति,
बना दे एक नई नीति ।
तुझ में कुछ खास है,
धरा को जिस पर नाज है।
कर खुदी का निर्माण तू ,
तु ही सब का ताज है।
अरे उठ उठा तू अस्त्र,
आलस्य को निर्साख कर दे।
पैंरो की बेड़ियाँ तोड़ ,
अपने को आजाद कर ले ।
अरे तू अंधकार में पड़ा,
सामने सूरज खड़ा है ।
आंख खोल कर देख ,
जमाना २१वी सदी में चला है ।
हर लक्ष्य को तू मात दे,
दुनियां को तू लक्ष्य दे।
तू बना एक नई राह,
जो बने एक लीक सा ।
जो उठा है वही बढ़ा है ,
उसी ने इतिहास रचा है ।
बाधाएँ तो आयेंगी ,
उनसे तू क्यों डरा है।
सम्मान उसी का हुआ है ,
जो बाधाओं से लड़ा है ।
हिम्मत तू क्यों हरता है,
हिम्मत तो तेरी धरोहर है ।।
–माताप्रसाद वर्मा
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