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टीचर – आज के राजनीतिक वातावरण और अपने नेताओ से क्या सीखा तुमने
स्टुडेंट –
सोच रहा हु राजनीति में अपना सिक्का जमाऊ
पर इस कंगाली में रुपया- पैसा कंहाँ से लाऊ
दो -चार चमचे लेकर पहले भ्रष्ट नेताओ को पटाऊ
हा भ्रष्ट नेता को ही पटाऊ
इमानदार होगा कुछ न देगा
देगा भी तो पाई-पाई का ब्यौरा मागेगा
न तो खुद लूटेगा,न मुझे लूटने देगा
जब अपना नेता भ्रष्ट होगा , अपनी तो चाँदी होगी
अपनी भी गाड़ी होगी नौकर -चाकर ,खुले आसमां में वादी होगी
करप्सन का दौर होगा, अपना भी सौर होगा
भारी भरकम टेंडर होगा,सस्ता सा कोई वेंडर होगा
सस्ते में काम निपटायेंगे,सारा पैसा बचायेंगे
हर शहर में अपना घर होगा
हर दिन जाम होगा साम होगा
ताज में रात का डिनर होगा
सुना है नेता जी का स्विस बैंक में काफी पैसा है
स्विस में अपना भी खाता होगा
हर महीने १००-२०० करोड़ उसमे जाता होगा
हर तरफ अपना रौब होगा गरीबो में अपना खौफ होगा
तब तक अपने चमचो में पुलिस भी होगी
सीबीआई अपने हाथ में होगी
अगला चुनाव खुद लड़ना होगा
कब तक चमचा गीरी करना होगा?
चुनाव जीतने के कुछ हथकंडे अपनाएंगे
पहले दंगा करवाएंगे ,घर फुकवायेंगे
फिर पैसा बटवायेंगे, पीड़ितों से मिलने
अस्पतालों में जायेंगे उनके इलाज का सारा बोझ उठाएंगे
उनकी नजर में हम मशीहा होंगे
भाई! तभी तो हम विजेता होंगे
जात-पात की ऐसी हवा फैलायेंगे की
एक दूसरे की खून पीने पर लोग उतर आयेंगे
समझौता हम न होने देंगे
समझौते का श्रेय जो खुद लेंगे !
दोनों पछ को अपना वोट बैंक बनायेंगे
फिर चुनाव तो हम यूँ जीत जायेंगे
जब सरकार बनेगी तो केबिनेट में हम जायेंगे
जरुरत पड़ी तो पार्टी बदल कर कैबिनेट में हम आयेंगे
पाँच साल की बात होगी बैठ कर रंगरलियाँ मनाएंगे
युवा है हम ,आज के नेताओ से ये सब सीखा है
उनके पद चिन्हों पर चल कर
उनसे कही अधिक इस देश को गर्त में ले जायेंगे
इस देश को बेच कर रुपया स्विस में पहुचाएंगे
बिपत्ति आई देश पर तो, विदेश भाग जायेंगे
मरेंगे इस देश वाले हम तो गुलछर्रे उड़ायेंगे ।।
–माताप्रसाद वर्मा
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