Dil Se
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कली घटा ये दुःख की बदरिया,
छोड़ गए मोहे कहे सांवरियां ।
तन्हा न जिया जाय मोहे से,
लेके गए चितवा कहे सांवरियां ।
अखियों से नीर बाहे ढुर-ढुर के ,
भिजत कपोल गिर सांवरियां ।
रतिया बड़ी डरावनी लागे,
गम में खड़े है हम सांवरियां ।
सबहीं हमें दुखदायी लागे ,
कोई न अपना लागे सांवरियां ।
विरह विकल से व्याकुल हम
वापस आ जाओ सांवरियां …।।
–माताप्रसाद वर्मा
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